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ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

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पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम Shiv chaisa करावे ॥

ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता? - प्रेरक कहानी

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन

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